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Divorce Law: शादी में दिए गए तोहफे वापस मिलेंगे! तलाक के बाद महिला ले सकती है वापस, सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मामलों में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए महिलाओं के वित्तीय अधिकारों को मजबूत किया है, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि शादी के दौरान महिला को मिले सभी उपहार, जिन्हें कानूनी भाषा में 'स्त्रीधन' (Stridhan) कहा जाता है, उन पर महिला का पूर्ण और एकमात्र अधिकार होता है, तलाक या अलगाव की स्थिति में, महिला इन सभी सामानों और उपहारों को वापस लेने की हकदार है

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Divorce Law: शादी में दिए गए तोहफे वापस मिलेंगे! तलाक के बाद महिला ले सकती है वापस, सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश
Divorce Law: शादी में दिए गए तोहफे वापस मिलेंगे! तलाक के बाद महिला ले सकती है वापस, सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मामलों में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए महिलाओं के वित्तीय अधिकारों को मजबूत किया है, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि शादी के दौरान महिला को मिले सभी उपहार, जिन्हें कानूनी भाषा में ‘स्त्रीधन’ (Stridhan) कहा जाता है, उन पर महिला का पूर्ण और एकमात्र अधिकार होता है, तलाक या अलगाव की स्थिति में, महिला इन सभी सामानों और उपहारों को वापस लेने की हकदार है। 

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क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश?

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक आदेश को पलट दिया और कहा कि स्त्रीधन महिला की अपनी निजी संपत्ति है। पति या ससुराल पक्ष का इस संपत्ति पर कोई दावा नहीं बनता है। 

अदालत ने दोहराया कि यदि पति या ससुराल वाले तलाक के बाद महिला का ‘स्त्रीधन’ वापस करने से इनकार करते हैं, तो इसे आपराधिक विश्वासघात (criminal breach of trust) माना जा सकता है। यह फैसला महिलाओं की गरिमा, समानता और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। 

‘स्त्रीधन’ में क्या-क्या शामिल होता है?

‘स्त्रीधन’ का दायरा काफी व्यापक है। इसमें निम्नलिखित चीजें शामिल होती हैं:

  • गहने और आभूषण: शादी के समय या बाद में मिले सोने, चांदी या हीरे के गहने।
  • नकद उपहार: माता-पिता, रिश्तेदारों या दोस्तों द्वारा दिए गए नकद पैसे।
  • अन्य सामान: कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर और अन्य कीमती सामान जो महिला को उपहार स्वरूप मिले हों।

यह सभी सामान महिला की पूर्ण संपत्ति माने जाते हैं और पति की संपत्ति का हिस्सा नहीं होते हैं।

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मुस्लिम महिला अधिनियम के तहत भी अधिकार

हालांकि, यह विशेष मामला मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत एक मुस्लिम महिला के अधिकारों से संबंधित था, भारतीय कानून में ‘स्त्रीधन’ की अवधारणा व्यापक है, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14 भी महिला को अपनी संपत्ति पर पूर्ण स्वामित्व प्रदान करती है, भले ही वह संपत्ति उसे शादी के समय या किसी अन्य अवसर पर मिली हो। 

इस आदेश ने उन महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण जगाई है जो तलाक के बाद आर्थिक तंगी से जूझती हैं और अपनी ही संपत्ति वापस पाने के लिए संघर्ष करती हैं।

Divorce Law Supreme Court Says on Divorce
Author
Divya

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