
देश भर में बिजली वितरण प्रणाली को आधुनिक बनाने की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर को लेकर उपभोक्ताओं के बीच उत्साह का माहौल है, यह दावा किया जा रहा है कि इन आधुनिक मीटरों की स्थापना से बिजली के बिलों में कमी आएगी, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने हाल ही में संकेत दिया है कि स्मार्ट मीटर के उपयोग से बिजली की लागत में लगभग 2 से 2.5 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है।
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बिल कम होने का गणित समझें
हालांकि यह समझना महत्वपूर्ण है कि स्मार्ट मीटर अपने आप बिजली पैदा नहीं करते हैं या टैरिफ नहीं घटाते हैं, बिल में कमी मुख्य रूप से उपभोक्ता के व्यवहार में बदलाव और बेहतर प्रबंधन के कारण होगी:
सटीक खपत की जानकारी
- स्मार्ट मीटर अनुमानित बिलिंग की समस्या को जड़ से खत्म कर देते हैं। ये मीटर वास्तविक समय (रियल-टाइम) में सटीक बिजली खपत दर्ज करते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को केवल उतनी ही बिजली का भुगतान करना होता है, जितनी उन्होंने वास्तव में उपयोग की है। इससे अक्सर होने वाली ओवरचार्जिंग या बिलिंग त्रुटियों से मुक्ति मिलेगी।
ऊर्जा प्रबंधन का सशक्तिकरण
- उपभोक्ता अपने मोबाइल ऐप या इन-होम डिस्प्ले के माध्यम से अपनी दैनिक और मासिक खपत पर पैनी नज़र रख सकते हैं, यह डेटा उन्हें बिजली की बर्बादी करने वाले उपकरणों की पहचान करने और गैर-जरुरी उपकरणों को बंद करके ऊर्जा कुशल आदतें अपनाने में मदद करता है।
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टाइम-ऑफ-यूज़ (ToU) टैरिफ का लाभ
- कई राज्यों में स्मार्ट मीटर लागू होने के बाद ‘टाइम-ऑफ-यूज़’ (समय-आधारित) बिलिंग प्रणाली शुरू की जाएगी, इसके तहत, उपभोक्ता व्यस्ततम घंटों (पीक आवर्स) के बजाय देर रात या दिन के कम व्यस्त घंटों (ऑफ-पीक आवर्स) में बिजली का अधिक उपयोग करके, जब दरें सस्ती होती हैं, अपने बिल को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
संक्षेप में, स्मार्ट मीटर बिल घटाने का एक उपकरण है, लेकिन अंतिम बचत उपभोक्ता के हाथ में है, यह तकनीक उपभोक्ताओं को अपनी ऊर्जा खपत का ‘मास्टर’ बनने का मौका देती है।














