
पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया और न्यूज़ प्लेटफॉर्म पर एक खबर तेजी से फैल रही है कि अब सरकारी कर्मचारियों की शनिवार की छुट्टी खत्म होने वाली है। कई लोगों ने इसे केंद्र सरकार की नई नीति के रूप में भी समझ लिया। लेकिन असलियत इससे थोड़ी अलग है। यह बदलाव पूरे देश के लिए नहीं, बल्कि कुछ राज्यों और संस्थानों तक सीमित चर्चा का विषय है।
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केंद्र सरकार का रुख
केंद्रीय सरकारी कार्यालयों में फिलहाल पहले जैसा ही 5-दिवसीय कार्य सप्ताह जारी है। इसका मतलब है कि शनिवार और रविवार को सामान्य अवकाश रहता है। केंद्र सरकार की तरफ से ऐसा कोई निर्णय या अधिसूचना जारी नहीं की गई है जिससे यह व्यवस्था खत्म हो।
सुप्रीम कोर्ट की नई पहल
जुलाई 2025 से, सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक कार्यक्षमता बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। अब देश की सबसे बड़ी अदालत हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को सीमित समय के लिए खुलेगी। इन दिनों अदालत का काम सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक चलेगा।
इस फैसले का उद्देश्य लंबित मामलों की सुनवाई की गति बढ़ाना और न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाना है। यह व्यवस्था केवल न्यायिक प्रणाली के लिए लागू है, न कि देशभर के सरकारी कर्मचारियों के लिए।
छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में चर्चा
राज्य स्तर पर कुछ बदलावों पर विचार जरूर चल रहा है।
- छत्तीसगढ़ में पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई 5-दिवसीय कार्य प्रणाली की समीक्षा की जा रही है। नई सरकार इस पर पुनर्विचार कर रही है कि शनिवार की छुट्टी जारी रखी जाए या हटाई जाए।
- मध्य प्रदेश में भी इसी मुद्दे पर एक समिति बनाई गई है, जो सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियों की व्यवस्था की समीक्षा कर रही है। कुछ प्रस्ताव यह सुझाव दे रहे हैं कि सप्ताह में छह दिन कार्य प्रणाली फिर से लागू की जा सकती है।
इन परिवर्तनों का विरोध भी देखने को मिला है। राज्य कर्मचारी संघों ने कहा है कि 5-दिवसीय कार्य सप्ताह व्यवस्था ने कामकाज और जीवन संतुलन दोनों में सुधार लाया है। इसलिए किसी भी बदलाव से पहले कर्मचारियों की राय लेना जरूरी है।
पूरे देश के लिए कोई नीति नहीं
शनिवार की छुट्टी खत्म करने का कोई सर्वदेशीय या केंद्रीय नीति निर्णय नहीं हुआ है। अभी तक सभी मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में पुरानी प्रणाली ही लागू है।
इसलिए यदि आपने कहीं यह पढ़ा या सुना कि “भारत में शनिवार की छुट्टी खत्म हो गई”, तो यह दावा गलत है। यह केवल कुछ राज्यों या विशिष्ट संस्थानों से संबंधित चर्चाओं पर आधारित है।
















