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Railway Child Ticket Policy: रेलवे ने बदले नियम! इस उम्र के बच्चों को नहीं मिलेगी अलग सीट, फिर भी लगेगा टिकट, जानें पूरी डिटेल

नए साल और सर्दियों की छुट्टियों में ट्रेनों में यात्रियों की भारी भीड़ रहने वाली है। अगर आप भी परिवार या बच्चों के साथ सफर की तैयारी में हैं, तो रेलवे की ‘चाइल्ड टिकट पॉलिसी’ को ज़रूर समझें। इस पॉलिसी में बच्चों की उम्र के हिसाब से टिकट के अलग-अलग नियम तय किए गए हैं। इन्हें जानना ज़रूरी है ताकि सफर के दौरान किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।

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Railway Child Ticket Policy

क्रिसमस और न्यू ईयर का मौसम आते ही रेलवे स्टेशनों का माहौल बदल जाता है, कहीं टिकट काउंटर पर लाइनें लंबी, तो कहीं ट्रेनों में बैठने की जगह कम। सर्दियों की छुट्टियों में परिवारों के साथ लंबी यात्राओं का यह ट्रेंड हर साल देखा जाता है। ऐसे में अगर आप छोटे बच्चों के साथ ट्रेवल प्लान कर रहे हैं, तो पहले से टिकट नियम समझ लेना बहुत फायदेमंद रहेगा।

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रेलवे की ‘चाइल्ड टिकट पॉलिसी’ क्या कहती है

भारतीय रेलवे ने 2020 में बच्चों के टिकट और किराए से जुड़ी अपनी पॉलिसी को अपडेट किया था ताकि यात्रियों को किसी तरह का confusion न हो। इस नीति के तहत बच्चों की उम्र के हिसाब से टिकट की जरूरत और किराया दोनों तय किए गए हैं।

5 साल से कम उम्र वाले बच्चे

अगर आपका बच्चा 5 साल से छोटा है, तो खुशखबरी यह है कि उसे बिना टिकट ट्रेन में सफर करने की अनुमति है।
लेकिन ध्यान रहे, इस स्थिति में बच्चे को अलग सीट या बर्थ नहीं मिलेगी। यानी सफर के दौरान उसे माता-पिता की सीट पर ही बैठना या लेटना होगा। अगर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे के लिए अलग बर्थ बुक हो, तो इसके लिए फुल वयस्क किराया देना जरूरी है।

5 से 12 साल की उम्र वाले बच्चे

इस उम्र के बच्चों के लिए रेलवे ने दो विकल्प तय किए हैं:

  1. अगर अलग सीट या बर्थ की जरूरत नहीं है, तो टिकट कंसेशन रेट (कम किराए) पर बुक की जा सकती है।
  2. अगर अलग सीट या बर्थ चाहिए, तो टिकट पूरे वयस्क किराए पर लेना होगा।

इस नियम से यात्रियों को अपनी जरूरत के हिसाब से फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है। जो छोटे बच्चों के साथ लंबा सफर करते हैं, वे अक्सर बर्थ न लेकर कंसेशन टिकट चुनते हैं।

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12 वर्ष और उससे अधिक उम्र वाले बच्चे

एक बार बच्चा 12 साल की उम्र पार कर लेता है, तो भारतीय रेलवे उसे adult passenger के तौर पर मानता है।
इसका मतलब है कि टिकट दर वही होगी जो किसी पूर्ण वयस्क यात्री के लिए लागू होती है, यानी कोई रियायत नहीं।

क्यों जरूरी है टिकट नियम जानना

अक्सर देखा गया है कि यात्रियों को बुकिंग करते समय यह गलतफहमी होती है कि बच्चे के लिए टिकट लेना अनिवार्य नहीं है, जिससे बाद में चेकिंग के दौरान परेशानी हो सकती है। रेलवे की यह पॉलिसी इस भ्रम को दूर करती है और स्पष्ट करती है कि कौन से बच्चे बिना टिकट यात्रा कर सकते हैं और किन्हें टिकट जरूरी है।

अगर आप खुद टिकट बुक कर रहे हैं या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो बच्चे की उम्र सही दर्ज करें — क्योंकि सिस्टम उसी आधार पर उचित किराया ऑटोमेटिकली लगा देता है। छोटे बच्चों के लिए फर्जी उम्र दाखिल करने पर पेनल्टी लग सकती है।

यात्रियों के लिए जरूरी सलाह

  • सर्दियों की छुट्टियों के दौरान ट्रेनों में भारी भीड़ रहती है, इसलिए एडवांस बुकिंग (Advance Booking) बेहतर रहेगा।
  • बच्चों की उम्र के हिसाब से टिकट का सही विकल्प चुनें, बर्थ चाहिए या नहीं, इसपर पहले से सोच लें।
  • अगर बच्चा बीमार है या लंबा सफर है, तो बर्थ लेना सुविधाजनक रहेगा, भले ही किराया पूरा देना पड़े।
  • बिना टिकट बच्चे को ले जाकर बीच सफर में टिकट बनवाना मुश्किल होता है, इसलिए बुकिंग के समय ही स्थिति स्पष्ट रखें।

भारतीय रेलवे की ‘चाइल्ड टिकट पॉलिसी’ बच्चों के साथ यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए सरल लेकिन बहुत उपयोगी नियम तय करती है।
5 साल से छोटे बच्चे बिना टिकट यात्रा कर सकते हैं, 5 से 12 साल के बीच छूट मिलती है, जबकि 12 साल से ऊपर वालों के लिए फुल किराया लागू होता है।

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Author
Divya

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