कभी-कभी ऐसी परिस्थिति बन जाती है जब लोगों को टिकट कन्फर्म नहीं मिलता या जल्दी-जल्दी में टिकट बनाना छूट जाता है। ऐसे में कोई सोचता है कि “चलो थोड़ी दूरी है, पकड़े गए तो समझा लेंगे।” लेकिन अगर ऐसा करने पर टीटीई पकड़ ले, तो क्या हो सकता है? क्या सिर्फ जुर्माना देना पड़ेगा या जेल भी जाना पड़ सकता है? आइए जानते हैं इस पूरे मामले को विस्तार से।

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बिना टिकट यात्रा कानून के तहत अपराध क्यों है?
भारतीय रेलवे अधिनियम 1989 के अनुसार, ट्रेन में बिना टिकट यात्रा करना एक दंडनीय अपराध है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रेलवे राजस्व को नुकसान न हो और यात्री व्यवस्था सुचारू बनी रहे। हर व्यक्ति को वैध टिकट साथ रखना आवश्यक है, चाहे वह जनरल कोच में यात्रा कर रहा हो या एसी कोच में।
टीटीई (Train Ticket Examiner) का काम सिर्फ टिकट चेक करना नहीं, बल्कि रेलवे के नियमों को लागू करना भी होता है। इसलिए उन्हें अधिकार है कि वे बिना टिकट पाए गए यात्रियों से जुर्माना वसूलें या जरूरत पड़ने पर आगे की कार्रवाई करें।
बिना टिकट पकड़े जाने पर क्या होगी कार्रवाई?
यदि कोई यात्री बिना टिकट यात्रा करते हुए पकड़ा जाता है, तो सबसे पहले टीटीई उससे यात्रा का किराया और जुर्माना दोनों वसूलता है। यह राशि दूरी और ट्रेन के वर्ग (सेकंड क्लास, स्लीपर, एसी आदि) पर निर्भर करती है। न्यूनतम जुर्माना 250 रुपये से शुरू होता है।
मान लीजिए आप दिल्ली से लखनऊ जा रहे हैं और टिकट नहीं है, तो टीटीई आपसे किराए के साथ निर्धारित पेनल्टी वसूलेगा। यदि आप तुरंत राशि नहीं चुका पाते, तो मामला रेलवे सुरक्षा बल (RPF) या जीआरपी (Government Railway Police) को सौंपा जा सकता है।
क्या जेल भी हो सकती है?
हां, अगर कोई व्यक्ति बार-बार बिना टिकट यात्रा करता है या जुर्माना देने से मना करता है, तो उस पर कड़ा कदम उठाया जा सकता है। भारतीय रेलवे अधिनियम की धारा 138 के तहत, जुर्माना न भरने या धोखाधड़ी से यात्रा करने पर तीन महीने तक की जेल की सजा हो सकती है।
ऐसे मामलों में व्यक्ति को रेलवे पुलिस हिरासत में लेकर नजदीकी कोर्ट में पेश किया जाता है, और अदालत परिस्थितियों के आधार पर सजा या जमानत का फैसला करती है।
क्या टीटीई पुलिस को बुला सकता है?
अगर यात्री सहयोग नहीं करता, अपमानजनक व्यवहार करता है या जुर्माना देने से इंकार करता है, तो टीटीई को पूरा अधिकार है कि वह यात्री को पुलिस के सुपुर्द करे। रेलवे सुरक्षा बल या ग्रुप पुलिस मौके पर बुलाकर कार्रवाई करती है। इस स्थिति में रिकॉर्ड बनाया जाता है ताकि आगे कोर्ट में सबूत के तौर पर इस्तेमाल हो सके।
टीटीई कितना जुर्माना वसूल सकता है?
कई बार यात्रियों को लगता है कि टीटीई मनमानी करता है, लेकिन ऐसा नहीं है। टीटीई को केवल वही जुर्माना लेने की अनुमति है जो रेलवे अधिनियम में निर्धारित है। हर राशि की रसीद देना जरूरी है, ताकि यात्री को यह प्रमाण मिल सके कि उसने वैध भुगतान किया है। यदि टीटीई रसीद देने से मना करे, तो यह गंभीर गड़बड़ी मानी जाती है।
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शिकायत कहां करें?
अगर आपको लगता है कि टीटीई ने अनुचित जुर्माना वसूला है या बदसलूकी की है, तो आप तुरंत रेलवे हेल्पलाइन नंबर 139 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके साथ ही रेलवे के वेबसाइट या ऐप पर जाकर ऑनलाइन शिकायत फॉर्म भी भरा जा सकता है। गंभीर मामलों में सीनियर डीसीएम या आरपीएफ ऑफिसर से सीधे संपर्क करें।
ऑन द स्पॉट टिकट की सुविधा
कुछ स्थितियों में, खासकर अगर ट्रेन में खाली सीटें हों, तो टीटीई ऑन-द-स्पॉट टिकट जारी कर सकता है। लेकिन इस सुविधा में जुर्माना देना अनिवार्य होता है। यानी आप टिकट तो बना सकते हैं, पर बिना चालान या पेनल्टी के यात्रा जारी नहीं रख सकते।
क्या बच्चों, बुजुर्गों या छात्रों के लिए राहत है?
रेलवे में नियम सब पर समान रूप से लागू होते हैं। बच्चों (5 साल से ज्यादा), वरिष्ठ नागरिकों या छात्रों को भी वैध टिकट रखना जरूरी है। केवल वैध पहचान पत्र और रियायत के प्रमाण पत्र दिखाने पर ही रियायत लागू होगी। बिना आईडी या पास होने पर सामान्य जुर्माना ही वसूला जाएगा।
यात्रा से पहले रखें ये सावधानियां
- ट्रेन में चढ़ने से पहले टिकट कन्फर्म करवाएं या जनरल टिकट खरीदें।
- मोबाइल पर ई-टिकट का स्क्रीनशॉट या पीडीएफ हमेशा डाउनलोड रखें।
- यदि अचानक यात्रा करनी पड़े, तो टीटीई से टिकट बनाने के विकल्प के बारे में पूछें।
- जुर्माना देते समय हमेशा रसीद लेना न भूलें।
- किसी विवाद की स्थिति में हेल्पलाइन नंबर 139 या 182 (RPF) पर कॉल करें।
















