जन्म कुंडली, जिसे जन्मपत्री भी कहा जाता है, वह ज्योतिष का चार्ट होता है जो व्यक्ति के जन्म समय, तिथि और स्थान के आधार पर तैयार किया जाता है। यह चार्ट ग्रहों की स्थिति को दर्शाता है और इसके अनुसार व्यक्ति के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं जैसे व्यक्तित्व, स्वास्थ्य, विवाह, करियर और भाग्य के बारे में जानकारी मिली जाती है।

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जन्म कुंडली बनवाने का महत्व
प्रेमानंद महाराज के अनुसार जन्म कुंडली बनवाना खासकर जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए आवश्यक है। विशेष रूप से विवाह के संबंध में कुंडली बनाने की परंपरा बहुत पुरानी है। कुंडली से न केवल विवाह के लिए उचित साथी का चयन आसान होता है, बल्कि इससे जीवन में आने वाले सुख-दुख, अवसर और चुनौतियों को समझने में भी मदद मिलती है।
क्या कुंडली बनवाना अनिवार्य है?
हालांकि आज के आधुनिक समाज में कुंडली बनवाना हर किसी के लिए अनिवार्य नहीं माना जाता, प्रेमानंद महाराज की सलाह है कि महत्वपूर्ण फैसलों के समय कुंडली से मार्गदर्शन जरूर लेना चाहिए। वे कहते हैं कि यदि कुंडली बनाना संभव न हो तो भी जीवन चलता रहता है, लेकिन कुंडली के माध्यम से बनाये गए निर्णय अधिक सुरक्षित और सही होते हैं। खासकर विवाह में कुंडली मिलान एक पारंपरिक और वैज्ञानिक तरीका है जो रिश्ता मजबूती प्रदान करता है।
कुंडली के बिना भी जीवन संभव है
प्रेमानंद महाराज ने यह भी स्पष्ट किया है कि जन्म कुंडली न मिल पाने की स्थिति में भी विवाह किया जा सकता है। वे कहते हैं कि ऐसी स्थिति में मन की शांति और विश्वास के साथ भगवान की कृपा मानकर जीवन साथी चुना जाना चाहिए। कुंडली के बिना भी जीवन का सुंदर और सफल नेतृत्व संभव है, बस निर्णय सोच-समझकर और ईमानदारी से लेना जरूरी है।
कुंडली क्यों महत्वपूर्ण है?
जन्म कुंडली केवल भविष्य कहने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति की वजह से उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों को समझने का एक तरीका है। यह हमें हमारे स्वभाव, हमारे कर्मों और आने वाले समय की चुनौतियों का सामना करने की तैयारी कराती है। कुंडली से मिलने वाली जानकारी हमारी जिंदगी के कई बड़े फैसलों में सहायक होती है।
















