
केंद्र सरकार ने आधार कार्ड (Aadhaar Card) से जुड़े नए नियमों को मंजूरी दे दी है। इन नियमों के तहत डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP Act) के अंतर्गत Face Authentication और Purpose Limitation Requirements को शामिल किया गया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई और मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, इन बदलावों का मकसद आधार के इस्तेमाल को और अधिक सुरक्षित, सुविधाजनक और प्राइवेसी-फ्रेंडली बनाना है।
नए आधार नियमों के लागू होने के बाद न सिर्फ सरकारी सेवाओं में बल्कि निजी क्षेत्र (Private Sector) में भी आधार का कानूनी तरीके से इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह बदलाव डिजिटल इंडिया (Digital India) मिशन की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
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आधार फेस ऑथेंटिकेशन क्या है?
आधार फेस ऑथेंटिकेशन (Aadhaar Face Authentication) एक ऐसी तकनीक है, जिसमें व्यक्ति के चेहरे की पहचान के जरिए उसकी आधार वेरिफिकेशन (Aadhaar Verification) की जाती है। यह तकनीक खासतौर पर उन परिस्थितियों में उपयोगी साबित होगी, जब फिंगरप्रिंट (Fingerprint) या आईरिस स्कैन (Iris Scan) के जरिए पहचान संभव न हो।
नए नियमों के तहत फेस ऑथेंटिकेशन को आधार पहचान के एक वैध माध्यम के रूप में मान्यता दी गई है। पहले यह सुविधा कई सरकारी संस्थानों में सीमित या प्रतिबंधित थी, लेकिन अब इसे व्यापक स्तर पर लागू करने की तैयारी है।
कैसे काम करेगा Face Authentication System?
UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) के मुताबिक, फेस ऑथेंटिकेशन के जरिए आधार होल्डर की भौतिक उपस्थिति (Physical Presence) सुनिश्चित की जा सकेगी। यह सिस्टम खासकर बुजुर्गों, दिव्यांगों और उन लोगों के लिए मददगार होगा, जिनके फिंगरप्रिंट साफ नहीं आते।
उदाहरण के तौर पर, किसी पहले से बुक किए गए इवेंट, कॉन्फ्रेंस या टिकटेड एंट्री (Ticketed Entry) में फेस ऑथेंटिकेशन से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सही व्यक्ति ही वहां मौजूद है। इससे फ्रॉड और फर्जी पहचान (Identity Fraud) पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
रीडिजाइन किए गए Aadhaar App में होंगे बड़े बदलाव
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, UIDAI इन सभी नए नियमों और फीचर्स को रीडिजाइन किए गए Aadhaar App के जरिए लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। यह ऐप यूजर्स को ज्यादा कंट्रोल देगा और आधार से जुड़ी सेवाओं को आसान बनाएगा।
नए आधार ऐप में यूजर्स यह तय कर सकेंगे कि वे अपनी कौन-कौन सी जानकारी शेयर करना चाहते हैं। यानी अब डेटा शेयरिंग यूजर-कंट्रोल्ड होगी, जो प्राइवेसी प्रोटेक्शन (Privacy Protection) को मजबूत बनाएगी।
Purpose Limitation: डेटा का सीमित और सुरक्षित इस्तेमाल
नए नियमों में Purpose Limitation Requirement को खास अहमियत दी गई है। इसका मतलब है कि आधार से जुड़ा डेटा सिर्फ उसी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जिसके लिए यूजर ने अनुमति दी है।
उदाहरण के तौर पर, अगर किसी सेवा के लिए केवल उम्र (Age) की जरूरत है, तो पूरा आधार डेटा साझा नहीं किया जाएगा। इससे अनावश्यक डेटा एक्सेस और दुरुपयोग की संभावना कम होगी।
निजी कंपनियों को भी मिलेगा कानूनी इस्तेमाल का अधिकार
नए आधार नियमों के तहत अब Private Companies भी आधार सिस्टम का कानूनी रूप से इस्तेमाल कर सकेंगी, बशर्ते वे DPDP एक्ट के नियमों का पालन करें। इससे बैंकिंग, फाइनेंस, ट्रैवल, इवेंट मैनेजमेंट और डिजिटल सर्विस सेक्टर में आधार आधारित वेरिफिकेशन को बढ़ावा मिलेगा।
हालांकि, सरकार ने यह भी साफ किया है कि डेटा प्राइवेसी से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और यूजर की सहमति (User Consent) सबसे अहम होगी।
आधार होल्डर को मिलेंगे नए अधिकार
इन नए नियमों के तहत आधार होल्डर को यह अधिकार मिलेगा कि वह:
- तय कर सके कि कौन सी जानकारी शेयर करनी है
- अपनी फोटो (Photograph) और उम्र (Age) से जुड़ी जानकारी को अपनी मर्जी से साझा करे
- जरूरत पड़ने पर डेटा एक्सेस को सीमित या रोक सके
सरकार का कहना है कि ये बदलाव डेटा प्राइवेसी और डिजिटल ट्रस्ट को मजबूत करने के लिए लाए जा रहे हैं।
जल्द लागू हो सकते हैं नए नियम
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत सरकार इन नए आधार नियमों को जल्द ही लागू कर सकती है। इसके बाद आधार का इस्तेमाल दैनिक जीवन में पहले से ज्यादा आसान, सुरक्षित और भरोसेमंद हो जाएगा।















