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‘पैसे दो और मनचाही तारीख का बर्थ सर्टिफिकेट लो’!’ जन्म प्रमाणपत्र स्कैम पर हाईकोर्ट ने सबसे बड़े अफसर को लगाई फटकार

जन्म प्रमाणपत्र स्कैम पर हाईकोर्ट ने लगाया बड़ा आरोप, जहां करोड़ों की रिश्वत लेकर गलत तारीखें दर्ज की जाती हैं। इस घपले की सच्चाई जानें और समझें कि कैसे यह आम जनता की जिंदगी पर असर डाल रहा है।

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उत्तर प्रदेश में एक बड़ा जनहित का मामला सामने आया है, जहां जन्म प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया में घोर भ्रष्टाचार की खबरें आई हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले की गम्भीरता को समझते हुए प्रशासन के सबसे बड़े अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की शिकायतें न केवल न्याय व्यवस्था बल्कि पूरे प्रशासन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं।

‘पैसे दो और मनचाही तारीख का बर्थ सर्टिफिकेट लो’!' जन्म प्रमाणपत्र स्कैम पर हाईकोर्ट ने सबसे बड़े अफसर को लगाई फटकार

फर्जी जन्म प्रमाणपत्र की गंभीर समस्या

मामले की जांच में पता चला कि कई जगहों पर जन्म प्रमाणपत्र के दस्तावेज़ों में मनमानी तारीखें दर्ज की जा रही हैं। इसके लिए पैसे लेकर जन्म तिथि को बदला जा रहा है। एक ही व्यक्ति के दो या उससे अधिक जन्म प्रमाणपत्र बन जाने की घटनाएं सामने आई हैं, जो दस्तावेज़ों की विश्वसनीयता को कमजोर करती हैं। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह से अव्यवस्थित करार दिया है।

हाईकोर्ट की कड़ी चेतावनी

हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को इस व्यवस्था की समीक्षा कर जल्द सुधार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि किसी भी व्यक्ति को जन्म प्रमाणपत्र दोहराने की अनुमति दी न जाए और भ्रष्टाचार को रूट से खत्म किया जाए। कोर्ट यह भी चाहता है कि जन्म प्रमाणपत्र केवल सत्यापित और प्रमाणित प्रक्रिया के अंतर्गत ही जारी हों।

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भ्रष्टाचार से जनसाधारण की जान चली जाती है

जन्म प्रमाणपत्र किसी भी व्यक्ति की पहचान और सरकारी सेवाओं तक पहुंच का पहला और सबसे अहम दस्तावेज होता है। फर्जी दस्तावेज बनने से न सिर्फ सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग होता है, बल्कि गरीब और जरूरी सेवाओं के हकदारों को नुकसान भी पहुंचता है। भ्रष्टाचार के कारण लोगों की सच्चाई दब जाती है और न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होती है।

शासन-प्रशासन के लिए बड़ा सबक

यह मामला प्रशासन को यह संदेश देता है कि दस्तावेज़ प्रणाली में पारदर्शिता और कड़ी निगरानी अनिवार्य है। डिजिटलाइजेशन और तकनीकी सुधारों के साथ-साथ भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जरूरी है। सभी विभागों को मिलकर इस काले धब्बे को मिटाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

Author
Divya

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