बेंगलुरु के एक युवा दंपति ने कॉर्पोरेट नौकरियों को त्यागकर पारंपरिक साड़ियों का अनोखा ब्रांड खड़ा कर लिया। ये कपल अपनी जड़ों से जुड़ी साड़ियों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का सपना देखता था, जो आज लाखों महिलाओं की पहली पसंद बन चुका है। दिन-रात की मेहनत से उन्होंने छोटे निवेश से बड़ा मुकाम हासिल किया।

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जॉब छोड़ने का साहसिक फैसला
पूजा और शशांक पहले सॉफ्टवेयर और सेल्स क्षेत्र में व्यस्त थे। बाजार में आधुनिक डिजाइनों की बहार देखकर उन्हें एहसास हुआ कि असली विरासत वाली साड़ियां लुप्त हो रही हैं। 2021 में महज थोड़े से पैसे से उन्होंने कारोबार शुरू किया, सोशल मीडिया पर खुद प्रमोशन किया और छोटे ऑर्डर पूरे किए। लॉकडाउन के दौर में भी ऑनलाइन सेशन्स से ग्राहकों से जुड़े रहे।
नाम की अनोखी प्रेरणा
ब्रांड का नाम कन्नड़ शब्द से लिया गया, जो साड़ी की सुंदर प्लिट्स को दर्शाता है – हर फोल्ड में एक पुरानी याद छिपी। उन्होंने दक्षिण भारतीय हथकरघा पर जोर दिया, जैसे गढ़वाल, बनारसी और कांजीवरम स्टाइल। हर साड़ी का नाम उसके मूल स्थान की भाषा से रखा, ताकि खरीदार इतिहास का टुकड़ा महसूस करे। डिजाइन में 15-20 दिन लगाते हैं, जो कारीगरी को संरक्षित रखता है।
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विविध कलेक्शन और पहुंच
वेबसाइट पर सैकड़ों विकल्प हैं – सिल्क, कॉटन और जरी वाली साड़ियां 2,000 से 5,000 रुपये तक, ब्लाउज पीस सहित। प्री-ड्रेप्ड साड़ियां, शर्ट्स और जल्द ही पुरुषों के कपड़े भी। सस्टेनेबल फैशन को बढ़ावा देते हुए भारत से बाहर भी बिक्री फैला रहे हैं। सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स के साथ हर महीने भारी कमाई हो रही।
सफलता का मूल मंत्र
फास्ट फैशन के दौर में ये ब्रांड नॉस्टैल्जिया और शिल्प पर केंद्रित है। भावनात्मक जुड़ाव से ग्राहक लौटते हैं, जिससे तेज विकास हो रहा। ये कहानी बताती है कि जुनून से कोई भी क्षेत्र जीता जा सकता है।
















