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Big Landowners in India: भारत में सबसे ज्यादा जमीन किसके पास है? जानकर हैरान रह जाएंगे आप

भारत में सबसे ज्यादा जमीन भारत सरकार के पास है, जिसके बाद कैथोलिक चर्च ऑफ इंडिया का नाम आता है। चर्च देश का सबसे बड़ा गैर-सरकारी भूमि स्वामी है। वहीं वक्फ बोर्ड, डीएलएफ के कुशाल पाल सिंह, गोदरेज फैमिली और नुस्ली वाडिया जैसे कई निजी और कॉर्पोरेट घराने भी बड़ी ज़मीन के मालिक हैं।

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Big Landowners in India: भारत में सबसे ज्यादा जमीन किसके पास है? जानकर हैरान रह जाएंगे आप

भारत भूमि का देश है यहाँ खेतों से लेकर शहरों तक हर इंच की ज़मीन की अपनी कहानी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस विशाल भूमि का सबसे बड़ा मालिक कौन है? आमतौर पर हम किसानों, उद्योगपतियों या स्थानीय राजघरानों का नाम सोचते हैं, लेकिन हक़ीक़त कुछ और है। भारत में सबसे ज़्यादा ज़मीन किसी व्यक्ति या संस्था नहीं, बल्कि ख़ुद भारत सरकार के पास है।

भारत सरकार – सबसे बड़ा भूमि स्वामी

केंद्र सरकार देश की सबसे बड़ी ज़मीन मालिक है। फरवरी 2021 के आंकड़ों के अनुसार, केंद्र के पास करीब 15,531 वर्ग किलोमीटर यानी लगभग 38 लाख एकड़ ज़मीन दर्ज है। यह ज़मीन अलग-अलग मंत्रालयों और सार्वजनिक उपक्रमों में बटी हुई है।
इनमें रक्षा मंत्रालय और भारतीय रेलवे शीर्ष पर हैं।

  • रक्षा मंत्रालय के पास देशभर में सैनिक छावनियों, प्रशिक्षण केंद्रों और बेसों के लिए विशाल क्षेत्र है।
  • वहीं भारतीय रेलवे के नाम पर ट्रैक्स, यार्ड्स और तकनीकी प्रतिष्ठान के लिए लाखों एकड़ ज़मीन दर्ज है।

इन संपत्तियों का इस्तेमाल सिर्फ सरकारी कामकाज तक सीमित नहीं है — इनका एक बड़ा हिस्सा सुरक्षित या अप्रयुक्त भी है, जिस पर वर्षों से बहस होती रही है कि इन्हें कैसे उपयोग में लाया जाए।

चर्च ऑफ इंडिया

अगर सरकार को अलग कर दें तो भारत में सबसे बड़ा गैर-सरकारी भूमि स्वामी है कैथोलिक चर्च ऑफ इंडिया
अनुमान है कि चर्च के पास देशभर में लगभग 7 करोड़ हेक्टेयर यानी करीब 17 करोड़ एकड़ तक ज़मीन है। यह ज़मीन सिर्फ धार्मिक इमारतों के लिए ही नहीं, बल्कि स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और सामाजिक संस्थानों के रूप में भी उपयोग में है।
इनमें से अधिकतर संपत्तियाँ ब्रिटिश शासन के दौरान चर्च मिशनों को दी गई थीं, जो समय के साथ संस्थागत हो गईं। आज भी ये ज़मीनें कई राज्यों में सबसे कीमती हिस्सों में शामिल हैं।

वक्फ बोर्ड – धार्मिक न्यास की विशाल संपत्ति

मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड करता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वक्फ संपत्तियों के अंतर्गत लगभग 9 लाख एकड़ ज़मीन आती है।
इनमें मस्जिदें, कब्रिस्तान, मदरसे और सामाजिक कार्यों के लिए चलाई जाने वाली संपत्तियाँ शामिल हैं।
हालाँकि इन ज़मीनों का एक बड़ा हिस्सा विवादों, अतिक्रमण या प्रशासनिक उपेक्षा के कारण सही उपयोग से वंचित है।

निजी ज़मींदार और कॉर्पोरेट घराने

भारत में कुछ निजी व्यक्ति और उद्योगपति भी हैं जिनके पास ज़मीन का बड़ा हिस्सा है, लेकिन सरकारी या धार्मिक संस्थानों की तुलना में ये बहुत छोटे पैमाने पर हैं।

  • कुशाल पाल सिंह (DLF) – भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र में मशहूर नाम, जिन्होंने गुरुग्राम जैसी आधुनिक नगरी का खाका बदला।
  • गोदरेज फैमिली – मुंबई के विखरोली इलाके में करीब 2,000 एकड़ मैंग्रोव क्षेत्र इनके स्वामित्व में है, जो पर्यावरण और उद्योग दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • नुस्ली वाडिया (बॉम्बे डाइंग ग्रुप) – मुंबई में फैली उनकी संपत्तियाँ और ट्रस्ट-नियंत्रित ज़मीनें भी लंबे समय से सुर्खियों में रही हैं।

भूमि स्वामित्व का अर्थ और भविष्य

भारत में भूमि सिर्फ संपत्ति नहीं, बल्कि शक्ति, अवसर और विरासत का प्रतीक है। जब एक ओर सरकार और धार्मिक संस्थाएँ करोड़ों एकड़ ज़मीन की मालिक हैं, वहीं आम नागरिकों का एक बड़ा हिस्सा आज भी सीमित ज़मीन या किराये के घरों तक सीमित है।
भूमि उपयोग और स्वामित्व से जुड़े सुधार, पारदर्शिता और भूमि रिकॉर्ड्स के डिजिटलीकरण पर सरकार लगातार काम कर रही है। लेकिन सही मायने में जब तक इन संपत्तियों का संतुलित, सामाजिक हित में उपयोग नहीं होगा, तब तक “भूमि का समान अधिकार” सिर्फ एक सपना ही रहेगा।

Author
Divya

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