देश के किसानों और पशुपालकों के लिए मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना एक महत्वपूर्ण पहल है, जो मुर्रा भैंस खरीदने पर 50% तक की सब्सिडी प्रदान करती है। इस योजना के तहत मुर्रा भैंस पाना अब एक सरल और किफायती विकल्प बन गया है, जिससे डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।

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योजना का उद्देश्य
इस योजना का मकसद है कृषि क्षेत्र में डेयरी उद्योग को सशक्त बनाना और ग्रामीण युवाओं को आर्थिक रूप से सक्षम करना। मुर्रा भैंस की सहायता से दूध उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे किसानों को नियमित आय का स्रोत मिले। साथ ही, इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और रोजगार के नए अवसर भी सृजित होते हैं।
योजना के लाभ
- मुर्रा भैंस पर उपलब्ध 50% की भारी सब्सिडी
- दो मुर्रा भैंसे, जिनमें से एक गर्भवती और दूसरी एक महीने के बच्चे वाली होती है
- छः महीने का मुफ्त चारा उपलब्ध
- नियमित दूध उत्पादन के कारण आर्थिक स्थिरता
- पशुपालन का प्रशिक्षण और समय-समय पर सरकार से सहायता
आवेदन प्रक्रिया कैसे करें
इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन दो तरीकों से किया जा सकता है:
- नजदीकी पशु चिकित्सा विभाग कार्यालय में जाकर
- ऑनलाइन राज्य सरकार के पोर्टल पर आवेदन भरकर
आवेदन के साथ जरूरी दस्तावेजों में आधार कार्ड, बैंक पासबुक, निवास प्रमाण पत्र, और जाति प्रमाण पत्र शामिल हैं। आवेदन अधिसूचना के अनुसार ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर स्वीकार किए जाते हैं।
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पात्रता और शुल्क
यह योजना सभी वर्गों के लिए खुली है। सामान्य वर्ग के लोगों को मुर्रा भैंस पाने के लिए लगभग डेढ़ लाख रुपये का भुगतान करना पड़ता है, जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लिए यह राशि लगभग आधी होती है। इस पूरी राशि में 50% की सब्सिडी सरकार द्वारा दी जाती है, जिससे निवेश काफी कम होता है।
योजना का प्रभाव
मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना के कारण क्षेत्रीय किसानों में गाय और भैंस पालन को लेकर उत्साह बढ़ा है। इससे न केवल दूध उत्पादन में इजाफा हुआ है, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है। योजना ने ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा दिया है, जिससे युवाओं के लिए रोजगार के नए रास्ते खुले हैं।
मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना ग्रामीण विकास के लिए एक सशक्त कदम है जो किसानों को मातृत्व पशुओं के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में ले जा रही है। इस योजना का सही और समय पर लाभ उठाकर अधिक से अधिक किसान अपने जीवन स्तर में सुधार ला सकते हैं।
















