
अगर आप खगोल विज्ञान या आसमान के रहस्यों में दिलचस्पी रखते हैं, तो साल 2027 आपके लिए बेहद खास होने वाला है। 2 अगस्त 2027 को धरती एक ऐसी अद्भुत खगोलीय घटना की साक्षी बनेगी, जो इस सदी का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण (Longest Solar Eclipse) कहा जा रहा है। यह दुर्लभ नज़ारा 6 मिनट 23 सेकंड तक चलेगा और दिन में कुछ वक्त के लिए अंधेरा छा जाएगा।
Table of Contents
जब दिन में रात उतर आएगी
हर सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की एक सटीक सीध में आने से बनता है। लेकिन 2027 का ग्रहण खास इसलिए है क्योंकि यह 6 मिनट 23 सेकंड तक चलेगा जो अब तक के सबसे लंबे सूर्य ग्रहणों में शामिल होगा। NASA के अनुसार, सैद्धांतिक रूप से सूर्य ग्रहण की अधिकतम अवधि 7 मिनट 32 सेकंड तक हो सकती है, और यह ग्रहण उस सीमा के बेहद करीब होगा।
इतना लंबा ग्रहण इसके बाद अब साल 2114 में ही देखने को मिलेगा। यानी, यह हमारी पीढ़ी के लिए once-in-a-lifetime celestial moment होगा। इस दौरान सूर्य पूरी तरह चंद्रमा की छाया में ढक जाएगा और कुछ मिनटों के लिए धरती पर ठंडक महसूस की जा सकेगी।
कहां देखा जा सकेगा यह दुर्लभ दृश्य
यह पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के कई शहरों में दिखाई देगा। मोरक्को, ट्यूनीशिया, मिस्र, सऊदी अरब और यमन जैसे देशों में लोग पूर्ण अंधकार और सूर्य के चारों ओर चमकते कोरोना का शानदार दृश्य देख पाएंगे। मिस्र के प्राचीन शहर लक्सर (Luxor) को इस ग्रहण के “Best Viewing Point” के रूप में चुना गया है, जहाँ लगभग 6.5 मिनट तक पूरा ग्रहण दिखेगा।
भारत में कैसा रहेगा नजारा?
भारत में यह सूर्य ग्रहण आंशिक रूप में दिखेगा। यानी हमारे देश में सूर्य पूरी तरह नहीं ढकेगा, लेकिन लोग इसका प्रभाव साफ देख पाएंगे। 2 अगस्त 2027 को भारत में ग्रहण का असर दोपहर 3:34 बजे से शाम 5:53 बजे तक रहेगा। देश के लगभग सभी राज्यों गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों में लोग आंशिक ग्रहण देख सकेंगे।
गुजरात के पिपर शहर से इसका सबसे सुंदर नज़ारा देखने को मिलेगा, जहाँ लगभग 1 घंटा 46 मिनट तक सूर्य का कुछ हिस्सा चंद्रमा से ढका रहेगा। इसके अलावा, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप और दक्षिण भारत के कई हिस्सों में भी यह दृश्य आंशिक रूप में दिखाई देगा।
विज्ञान बनाम आस्था — दोनों का संगम
हर सूर्य ग्रहण के साथ वैज्ञानिकी उत्साह के साथ-साथ पारंपरिक मान्यताएँ भी जुड़ी होती हैं। भारत में लोग इस मौके पर खाने-पीने से परहेज, मंत्र जाप, और पूजा-पाठ जैसी धार्मिक परंपराएँ निभाते हैं। वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक ऐसा समय होता है, जब अंतरिक्ष वैज्ञानिक सूर्य की outer corona और उसके चुंबकीय व्यवहार का अध्ययन करते हैं।
इसलिए कहा जा सकता है कि सूर्य ग्रहण न केवल धारणा या धार्मिक मान्यता का विषय है, बल्कि यह विज्ञान और ब्रह्मांड को गहराई से समझने का अवसर भी देता है।
आने वाला ग्रहण
2 अगस्त 2027 का यह सूर्य ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि धरती और आकाश के गहरे संबंध का एक जीवंत उदाहरण है। चाहे आप वैज्ञानिक दृष्टि से इसे देखें या आध्यात्मिक रूप से यह घटना मनुष्य को ब्रह्मांड की विशालता और अपनी सीमाओं का एहसास कराती है।
















