
देश में मेडिकल और संबंधित क्षेत्रों में प्रवेश प्रक्रिया को मानकीकृत (standardized) करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने बड़ा फैसला लिया है। 2026-27 शैक्षणिक सत्र से, आयुष (AYUSH) श्रेणी के तहत आने वाले कई प्रमुख अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET UG) पास करना अनिवार्य होगा।
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इन कोर्सेज के लिए NEET स्कोर जरूरी
यह नियम मुख्य रूप से भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों से जुड़े पाठ्यक्रमों पर लागू होगा। जिन कोर्सेज में अब NEET स्कोर के बिना प्रवेश संभव नहीं होगा, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- BAMS (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी)
- BUMS (बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी)
- BHMS (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी)
क्यों लिया गया यह फैसला?
यह निर्णय राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग (NCISM) और राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (NCH) अधिनियमों के तहत लिया गया है, इसका प्राथमिक उद्देश्य आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी जैसे पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता और मानकों को मुख्यधारा की आधुनिक चिकित्सा शिक्षा (MBBS/BDS) के बराबर लाना है।
अधिकारियों का तर्क है कि इससे प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और यह सुनिश्चित होगा कि इन पाठ्यक्रमों में केवल योग्य छात्र ही प्रवेश लें, जिनके पास आवश्यक मूलभूत वैज्ञानिक ज्ञान हो।
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छात्रों पर क्या होगा असर?
इस बदलाव का सीधा असर उन लाखों छात्रों पर पड़ेगा जो फिलहाल इन कोर्सेज में 12वीं के अंकों या राज्य-स्तरीय अलग प्रवेश परीक्षाओं के आधार पर दाखिला लेने की योजना बना रहे थे, अब उन्हें MBBS या BDS की तैयारी कर रहे छात्रों के साथ ही NEET UG परीक्षा देनी होगी और एक निर्धारित कट-ऑफ स्कोर प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में इसे एक व्यापक सुधार के तौर पर देखा जा रहा है, जिसका लक्ष्य देश भर में चिकित्सा शिक्षा के मानकों में एकरूपता लाना है।
















