
साइबर अपराध और फर्जीवाड़े के बढ़ते मामलों को देखते हुए, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) और दूरसंचार विभाग (DoT) ने सिम कार्ड जारी करने और उसके उपयोग के संबंध में बेहद कड़े नियम लागू किए हैं। इन नियमों का प्राथमिक उद्देश्य फर्जी तरीके से सिम एक्टिवेशन पर पूर्णतः रोक लगाना और देश में मोबाइल उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। अब नए और डुप्लीकेट सिम कार्ड प्राप्त करने की प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक सख्त हो गई है।
ये नए नियम न केवल टेलीकॉम कंपनियों पर, बल्कि प्रत्येक नागरिक पर लागू होते हैं, जिसका लक्ष्य एक सुरक्षित डिजिटल इकोसिस्टम बनाना है।
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नए नियमों के प्रमुख प्रावधान
फर्जी एक्टिवेशन को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं:
1. 7-दिन का ‘लॉकिंग पीरियड’ (7-Day Locking Period)
अब नया या डुप्लीकेट (Replacement) सिम कार्ड लेने पर एक अनिवार्य ‘लॉकिंग पीरियड’ लागू हो गया है। इस नियम के तहत, एक्टिवेशन के बाद शुरुआती 7 दिनों तक सिम कार्ड पर कुछ सेवाएँ प्रतिबंधित रह सकती हैं। इस अवधि का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सिम कार्ड सही उपभोक्ता तक पहुँचे और किसी भी संदिग्ध गतिविधि को शुरुआती चरण में ही पकड़ा जा सके। यह बदलाव सिम स्वैप फ्रॉड जैसी घटनाओं को रोकने में सहायक होगा।
2. फर्जीवाड़ा करने वालों को ‘ब्लैकलिस्ट’ किया जाएगा
सरकार ने उन व्यक्तियों के लिए एक कड़ा डेटाबेस तैयार करने की पहल की है जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सिम कार्ड लेते हैं या उनका उपयोग आपराधिक गतिविधियों में करते हैं।
- सख्त कार्रवाई: यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर सिम कार्ड लेता है या धोखाधड़ी वाले संदेश भेजता है, तो उसे साइबर सुरक्षा के लिए खतरा माना जाएगा।
- प्रतिबंध: ऐसे व्यक्तियों को राष्ट्रीय स्तर पर ‘ब्लैकलिस्ट’ किया जाएगा। ब्लैकलिस्ट होने पर, उनके सभी सक्रिय सिम कार्ड ब्लॉक कर दिए जाएंगे।
- दंडात्मक अवधि: ब्लैकलिस्ट किए गए व्यक्ति पर छह महीने से लेकर तीन साल तक की अवधि के लिए नया सिम कार्ड खरीदने पर प्रतिबंध लग सकता है।
टेलीकॉम ऑपरेटरों को इस ब्लैकलिस्टेड डेटाबेस को साझा करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसी भी ऑपरेटर द्वारा प्रतिबंधित व्यक्ति को नया कनेक्शन जारी न हो।
3. कानूनी दंड और भारी जुर्माना
टेलीकम्युनिकेशन बिल 2023 (जो अब कानून बन चुका है) में फर्जी सिम कार्ड से जुड़े अपराधों के लिए गंभीर कानूनी दंड का प्रावधान किया गया है:
- जेल और जुर्माना: फर्जी सिम कार्ड खरीदने या धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल करने पर 3 साल तक की जेल और ₹50 लाख तक का भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
- अपराध की श्रेणी: किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर सिम कार्ड लेना अब स्पष्ट रूप से अपराध की श्रेणी में आता है।
4. संदेहास्पद गतिविधियों पर गहन निगरानी
दूरसंचार प्राधिकरण अब सिम कार्ड के उपयोग पैटर्न पर भी कड़ी नजर रख रहा है। यदि किसी सिम कार्ड से असामान्य रूप से अधिक संख्या में कॉल या एसएमएस किए जाते हैं (जैसे कि प्रतिदिन 50 से अधिक), तो उसकी गहन जांच की जाएगी। फर्जी कॉल्स, स्पैम और टेलिमार्केटिंग की गतिविधियों में शामिल पाए जाने पर ऐसे सिम कार्ड को तुरंत डिएक्टिवेट कर दिया जाएगा।
सुरक्षा और विश्वास बहाली की पहल
इन नए और सख्त निर्देशों का सीधा असर मोबाइल धोखाधड़ी और साइबर अपराधों की दर को कम करने पर पड़ेगा। सरकार का यह कदम डिजिटल इंडिया के तहत मोबाइल उपभोक्ताओं के डेटा और गोपनीयता को सुरक्षित रखने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है। उपभोक्ताओं को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि वे केवल वैध और आधिकारिक माध्यमों से ही सिम कार्ड प्राप्त करें और अपनी पहचान का दुरुपयोग न होने दें।
















