
प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान हर संपत्ति मालिक के लिए एक अनिवार्य वित्तीय दायित्व है, हालांकि, कई बार जानकारी के अभाव में लोग या तो गलत टैक्स भर देते हैं या उपलब्ध छूट का लाभ नहीं उठा पाते, जिससे हजारों रुपये का नुकसान होता है, विशेषज्ञों का मानना है कि प्रॉपर्टी टैक्स की सही गणना को समझकर न केवल पारदर्शिता बरती जा सकती है, बल्कि कानूनी रुप से बचत भी की जा सकती है।
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स्थानीय नियमों को समझना आवश्यक
प्रॉपर्टी टैक्स की दरें और गणना की विधि हर राज्य और स्थानीय नगर निकाय (जैसे नगर निगम या नगर पालिका) के अनुसार भिन्न होती है, भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर अपने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की सरकारी वेबसाइटों के लिंक उपलब्ध हैं, जहां से स्थानीय नियमों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
प्रमुख गणना प्रणालियाँ
भारत में प्रॉपर्टी टैक्स आमतौर पर तीन मुख्य प्रणालियों में से एक के तहत निर्धारित किया जाता है:
- इकाई क्षेत्र मूल्य प्रणाली (Unit Area Value – UAv): यह सबसे प्रचलित प्रणाली है, जिसमें संपत्ति के निर्मित क्षेत्र (Built-up Area) को स्थान और उपयोग के आधार पर एक निश्चित दर से गुणा किया जाता है।
- पूंजीगत मूल्य प्रणाली (Capital Value System – CVS): इसमें संपत्ति के मौजूदा बाजार मूल्य (Market Value) को आधार बनाया जाता है।
- वार्षिक किराया मूल्य प्रणाली (Annual Rental Value – ARV): इस प्रणाली में संपत्ति के संभावित वार्षिक किराये आय के आधार पर टैक्स तय होता है।
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प्रॉपर्टी टैक्स कैलकुलेट करने का फॉर्मूला
अधिकांश नगर निकाय एक विशिष्ट फॉर्मूले का उपयोग करते है, UAv प्रणाली का एक सामान्यीकृत फॉर्मूला इस प्रकार है, प्रॉपर्टी टैक्स = आधार मूल्य × निर्मित क्षेत्र × उपयोग कारक × भवन प्रकार कारक × आयु कारक – छूट, इस गणना में इस्तेमाल होने वाले कारक (Factors) स्थानीय सरकार द्वारा तय किए जाते हैं।
ऑनलाइन कैलकुलेटर की सुविधा
टैक्स गणना का सबसे सरल तरीका संबंधित नगर निकाय की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध ऑनलाइन कैलकुलेटर का उपयोग करना है।
- उदाहरण के लिए, दिल्ली में MCD Online Services पोर्टल या मुंबई में BMC पोर्टल पर जाकर ‘Property Tax’ सेक्शन में आवश्यक विवरण (संपत्ति आईडी, स्थान, उपयोग का प्रकार, निर्माण का वर्ष आदि) भरकर सटीक टैक्स राशि तुरंत प्राप्त की जा सकती है।
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हजारों रुपये बचाने के ‘टैक्स हैक्स’
प्रॉपर्टी टैक्स में बचत के लिए ये कदम उठाए जा सकते हैं:
- अधिकांश निकाय नियत तारीख से पहले टैक्स जमा करने पर आकर्षक छूट (रीबेट) प्रदान करते हैं।
- वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं के नाम पर पंजीकृत संपत्तियों, या कुछ विशिष्ट सुविधाओं (जैसे वर्षा जल संचयन) वाली संपत्तियों पर अतिरिक्त छूट मिल सकती है। पात्रता की जांच करें।
- सुनिश्चित करें कि संपत्ति के रिकॉर्ड में क्षेत्रफल और उपयोग (आवासीय बनाम वाणिज्यिक) सही दर्ज हो। गलत जानकारी के कारण अक्सर अधिक बिल आता है।
















