
किसानों की आय को स्थिर और सुरक्षित बनाने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान यानी PM-आशा योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत उन किसानों को समर्थन प्रदान किया जाता है, जो अपनी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बेचना चाहते हैं। जिले में इस योजना के तहत किसानों का पंजीयन 1 दिसंबर 2025 से 28 फरवरी 2026 तक किया जा रहा है।
किसान भाई अपने आवेदन पत्र के साथ ऋण पुस्तिका, बी1, पी2, आधार कार्ड और बैंक पासबुक की छायाप्रति संलग्न कर ग्राम स्तर के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के माध्यम से सेवा सहकारी समितियों में पंजीकरण करवा सकते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रखी गई है ताकि किसी भी किसान को योजना का लाभ लेने में परेशानी न हो।
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खरीफ और रबी फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद
शासन द्वारा निर्धारित समय-सीमा के अनुसार, खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के दौरान अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली और सोयाबीन की खरीद होगी। वहीं रबी विपणन वर्ष 2026-27 में चना, मसूर और सरसों को खरीदा जाएगा।
इन सभी फसलों का उपार्जन केंद्रीय एजेंसी नेफेड (NAFED) द्वारा किया जाएगा। भारत सरकार ने प्रत्येक फसल का समर्थन मूल्य भी निर्धारित कर दिया है अरहर 8000 रुपये, मूंग 8768 रुपये, उड़द 7800 रुपये, मूंगफली 7263 रुपये, सोयाबीन 5328 रुपये, चना 5875 रुपये, मसूर 7000 रुपये और सरसों 6500 रुपये प्रति क्विंटल तय किए गए हैं।
उपार्जन केंद्र और कार्य दिवस
जिले के सभी विकास खंडों में स्थित सेवा सहकारी समितियों और स्टेट वेयरहाउस को उपार्जन केंद्र घोषित किया गया है। यहां किसानों से फसल खरीद का कार्य सोमवार से शुक्रवार तक किया जाएगा। इससे किसानों को अपनी सुविधा के अनुसार समय मिल सकेगा और भीड़भाड़ कम होगी।इसके अलावा, प्रत्येक केंद्र पर संबंधित विभाग के कर्मचारी मौजूद रहेंगे ताकि दस्तावेजों की जांच और वजन की प्रक्रिया सुचारु रूप से पूरी हो सके।
प्रत्येक फसल की सीमा तय
योजना के तहत पंजीकृत किसानों से खरीफ फसल की निश्चित मात्रा में खरीद की जाएगी। अरहर, मूंग और उड़द की खरीद 3 क्विंटल प्रति एकड़, मूंगफली की 7 क्विंटल प्रति एकड़ और सोयाबीन की 5 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से की जाएगी। इसका उद्देश्य अधिकतम किसानों को योजना का लाभ देना है, ताकि कोई भी किसान अपनी पूरी फसल बेचने से वंचित न रह जाए।
योजना से किसानों को क्या लाभ मिलेगा
PM-आशा योजना किसानों के लिए सुरक्षा कवच की तरह है। मौसम या बाजार दर नीचे जाने की स्थिति में भी किसान अपनी फसलों को तय समर्थन मूल्य पर बेचकर उचित आय प्राप्त कर सकते हैं।
योजना से किसानों को न केवल आर्थिक स्थिरता मिलेगी बल्कि कृषि में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। लंबे समय में यह पहल देश में कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगी और किसानों को “अन्नदाता” के रूप में सम्मानित स्थान दिलाने में सहायक सिद्ध होगी।
















