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Success Story: MBA के बाद नौकरी छोड़ी, छत पर शुरू की मोती की खेती! 45 रुपये की लागत में 150 रुपये का मुनाफा, जानें पूरा तरीका

कॉरपोरेट जॉब छोड़कर घर की छत पर मोती उगाकर हर महीने 60–70 हजार की कमाई करने वाली रोहिणी ने साधारण स्पेस और साधारण लागत से बनाया अपना बिजनेस. जानें पूरा तरीका और प्रेरणा लेने का मौका!

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Success Story: MBA के बाद नौकरी छोड़ी, छत पर शुरू की मोती की खेती! 45 रुपये की लागत में 150 रुपये का मुनाफा, जानें पूरा तरीका
Success Story: MBA के बाद नौकरी छोड़ी, छत पर शुरू की मोती की खेती! 45 रुपये की लागत में 150 रुपये का मुनाफा, जानें पूरा तरीका

रोहिणी ने नागपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और उसके बाद MBA भी पूरा किया. पढ़ाई के बाद उन्हें देश की जानी-मानी कंपनी L&T में नौकरी मिली. सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन भीतर कहीं न कहीं उन्हें यह महसूस हो रहा था कि यह काम उनके लिए नहीं है.
रोहिणी बताती हैं कि बचपन से ही उन्हें कुछ अलग करने की चाह थी. एक बात जो उनके दिमाग में गहराई से बैठ गई, वह थी मोती. बचपन में किसी ने उनसे मजाक में कहा था, “तुम गिट्टी से खेलती हो, हम तो मोती से खेलते थे.” यही लाइन आगे चलकर उनकी जिंदगी की दिशा बदलने वाली साबित हुई।

टीवी पर देखी मोती की खेती, वहीं से जगा आइडिया

रोहिणी बताती हैं कि उन्होंने पहली बार टीवी पर देखा कि मोती की खेती भी की जा सकती है. इससे पहले उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. जब उन्होंने इस विषय पर और रिसर्च की, तो पता चला कि यह काम छोटे स्तर पर भी शुरू किया जा सकता है.
इसके बाद उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देने का बड़ा फैसला लिया और Pearl Farming Training लेना शुरू किया. ट्रेनिंग के दौरान उन्हें समझ आया कि मोती की खेती के लिए बड़े तालाब या फार्म की जरूरत नहीं होती, बल्कि एक छोटी बालकनी या छत भी काफी है.

10×20 फीट की छत पर शुरू हुआ कारोबार

रोहिणी के घर में सिर्फ 10×20 फीट की छत उपलब्ध थी. इसी छोटे से स्पेस में उन्होंने मोती की खेती की शुरुआत की.
उन्होंने 10 बड़े टब लगाए और मीठे पानी की व्यवस्था की. मोती की खेती में पानी की गुणवत्ता बेहद अहम होती है, इसलिए पानी को साफ रखने के लिए अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल किया जाता है.
ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने सीप (Oyster) का सही चयन, फीडिंग, पानी की क्वालिटी मैनेजमेंट, रोग प्रबंधन और High Quality Designer Pearl तैयार करने की तकनीक सीखी.

एक मोती पर ₹45 की लागत, ₹150 तक मुनाफा

रोहिणी के अनुसार, एक मोती तैयार करने में करीब 45 रुपये का खर्च आता है. इसमें सीप, फीड, पानी की सफाई और देखभाल का खर्च शामिल होता है.
जब यही मोती तैयार होकर बाजार में बिकता है, तो Indiamart जैसी ऑनलाइन वेबसाइट्स पर एक सीप से 150 रुपये तक का मुनाफा मिल जाता है.
अगर बड़े स्तर पर देखा जाए, तो यह मार्जिन काफी आकर्षक है. यही वजह है कि उन्होंने इसे फुल-टाइम बिजनेस के रूप में अपनाया.

भारत में हाई क्वालिटी मोती की भारी डिमांड

रोहिणी बताती हैं कि भारत में मोती की डिमांड लगातार बढ़ रही है. खासतौर पर High Quality Pearl की मांग इतनी ज्यादा है कि देश अभी पूरी जरूरत को पूरा नहीं कर पा रहा.
यही कारण है कि भारत को बड़ी मात्रा में मोती विदेशों से इंपोर्ट करने पड़ते हैं. ऐसे में जब लोकल स्तर पर उच्च गुणवत्ता का मोती तैयार होता है, तो उसे बेचने में कोई दिक्कत नहीं आती.
रोहिणी के अनुसार, मोती तैयार होने के बाद ग्राहक खुद संपर्क करते हैं. महीने की औसतन कमाई 60 से 70 हजार रुपये तक आराम से हो जाती है.

खुद का बॉस बनने की खुशी

रोहिणी कहती हैं कि सबसे अच्छी बात यह है कि अब वे खुद की बॉस हैं.
पहले ऑफिस में किसी और के आदेशों पर काम करना पड़ता था, लेकिन अब काम का समय, तरीका और लक्ष्य सब कुछ वे खुद तय करती हैं.
इस काम से उन्हें न सिर्फ आर्थिक आजादी मिली है, बल्कि मानसिक संतुष्टि भी मिली है.

अन्य महिलाओं के लिए बनीं प्रेरणा

रोहिणी ने अपनी इस पहल से आसपास की 4–5 महिलाओं को भी अपने साथ जोड़ लिया है. वे उन्हें मोती की खेती की जानकारी देती हैं और ट्रेनिंग के लिए प्रेरित करती हैं.
आज हाल यह है कि आसपास के लोग उनकी छत पर आकर देखने आते हैं कि आखिर वहां हो क्या रहा है. कई महिलाएं उनसे प्रेरणा लेकर खुद भी यह काम शुरू कर चुकी हैं.
रोहिणी का कहना है कि अगर उन्हें देखकर 10 महिलाएं भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाती हैं, तो इससे बड़ी उपलब्धि उनके लिए कुछ नहीं हो सकती.

छोटे स्पेस से बड़ा सपना

रोहिणी की कहानी यह साबित करती है कि सही जानकारी, ट्रेनिंग और मेहनत के साथ छोटा सा स्पेस भी बड़े सपनों को पूरा कर सकता है.
कॉरपोरेट जॉब छोड़कर Self Employment, Women Entrepreneurship और Pearl Farming Business के जरिए उन्होंने न सिर्फ अपनी पहचान बनाई, बल्कि समाज को भी नई दिशा देने का काम किया।

Success Story
Author
Divya

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