ठंड ज्यादा लगने के पीछे शरीर के तापमान को नियंत्रित करने वाली विभिन्न प्रक्रियाओं में गड़बड़ी या असंतुलन हो सकता है। शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा होना, रक्त संचार में कमी, या थायरॉयड हार्मोन की कमी जैसे कारण ठंड की अनुभूति को ज्यादा तीव्र कर सकते हैं। इसके अलावा, शरीर में वसा की कमी भी एक कारण है, क्योंकि वसा शरीर को गर्म रखने में सहायक होती है। सर्दियों में हवा और पर्यावरणीय कारकों के साथ ये कारण मिलकर ठिठुरन और ठंड महसूस कराने में भूमिका निभाते हैं।

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किस विटामिन की कमी से बढ़ती है ठिठुरन?
ठंड लगने या ठिठुरन बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण कुछ विशेष विटामिनों की कमी है। खासकर, विटामिन B12 की कमी से शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो सकती है, जिससे शरीर के अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती और ठंड लगने लगती है। विटामिन D की कमी भी हड्डियों की कमजोरी और ठंड को बढ़ावा देती है। इसके अलावा, आयरन की कमी से भी ठंड ज्यादा लगती है क्योंकि यह हीमोग्लोबिन के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाता है, जो शरीर में गर्मी का संचार सुनिश्चित करता है।
आयुर्वेदिक उपाय
ठंड लगने की समस्या से राहत पाने के लिए आयुर्वेद में कई प्राकृतिक उपाय प्रचलित हैं। मेथी के दाने भुनकर सेवन करने से शरीर को गर्माहट मिलती है। तुलसी, काली मिर्च, अदरक, और हल्दी का काढ़ा पीना भी लाभकारी होता है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और ठंड को कम करता है। शहद और अदरक का मिश्रण गले की खराश को दूर करता है और साथ ही शरीर को अंदर से गर्म रखता है। पेट की ठंड दूर करने के लिए अजवाइन और हींग के चूर्ण का सेवन किया जाता है। ये सभी उपाय सरल हैं और प्राकृतिक रूप से शरीर को स्वस्थ एवं मजबूत बनाते हैं।
















